स्वागत योग्य निर्णय यही होना चाहिए प्रदेश को बाँटने की राजनीती नही चलेगी इसका जवाब जनता ने पहले ही वोट देकर दे दिया था !
जयराम सरकार कांग्रेस की दूसरी राजधानी की चुनावी घोषणा को आगे बढ़ाने के मूड में नहीं दिख रही है। मुख्यमंत्री जयराम ने तपोवन में इसके संकेत जाहिर कर दिए हैं। नौ महीने पहले चुनावी साल में धर्मशाला समेत पूरे निचले हिमाचल के वोट बैंक को साधने के लिए कांग्रेस की ओर से धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने की घोषणा कर फेंका गया तुरुप का इक्का नई जयराम सरकार को रास नहीं आ रहा है। आपको हम बता दें की अरबों खर्च होते इसमें लेकिन कांग्रेस ने वोट पाने के लिए ये घोषणा कर डाली थी जिस कांग्रेस ने राहत कोष खाली कर डाला है वो कैसे इस वादे को पूरा करती ये आप खुद सोच लीजिये !
मुख्यमंत्री जयराम एक प्रदेश, एक राजधानी के फॉर्मूले पर चलने के मूड में हैं। सरकार धर्मशाला को दूसरी राजधानी बनाने से इतर नए विकल्प तलाश रही है। दूसरी राजधानी धर्मशाला को दर्जे से आगे बढ़ाने की बात पर तपोवन में मुख्यमंत्री जयराम ने साफ शब्दों में कहा कि कुछ भी कहने से महल नहीं बन जाते।
सरकार का मतलब यह नहीं होता कि बिना सोचे समझे कोई भी घोषणा कर दो। बिना योजना शिलान्यासों और उद्घाटनों के फट्टे लगाने से विकास नहीं होता। मुख्यमंत्री के संकेतों से साफ है कि धर्मशाला दूसरी राजधानी के दर्जे से आगे नहीं सरकेगी। जयराम सरकार फिलहाल परंपराओं की दुहाई देकर शीतकालीन प्रवास तक ही इसे सीमित रखना चाह रही है।
सरकार को धर्मशाला में शिमला की तरह पूरा संरचनात्मक ढांचा विकसित करने में अरबों रुपये खर्च हो जाएंगे। इसलिए, दूसरी राजधानी का सिर्फ दर्जा देकर जयराम सरकार जनता को शिगूफे में नहीं रखना चाहती !